होठों पे मुस्कान लिए चलता हूँ |
सीने में तूफ़ान लिए चलता हूँ ||
कुछ भी न हो पास अगर तो क्या ग़म |
आँखों में ईमान लिए चलता हूँ ||
वक़्त कभी भी धोखा दे सकता है |
मैं एसे इम्कान लिए चलता हूँ ||
सबको ख़ुशी देना है मक़ि्सद मेरा |
जल्वों का सामान लिए चलता हूँ ||
आप समझ ले ये कि शायर हूँ मैं |
ग़ज़लों का दीवान लिए चलता हूँ ||
लोग मुझे चाहे जो कह सकते हैं |
ख़ुद में मैं इंसान लिए चलता हूँ ||
जब लेने आयेगा वो चल दूंगा |
मौला का फ़र्मान लिए चलता हूँ ||
पाई है दुन्या में जो भी शोहरत |
अब वो ही पहचान लिए चलता हूँ ||
आज कहीं तो ‘सैनी’ मिल जाएगा |
मिलने का अरमान लिए चलता हूँ ||
डा० सुरेन्द्र सैनी
बहुत खूब डा सुरेन्दर सैनी जी
ReplyDeleteVimal ji bahut bahut dhanywaad
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