Wednesday, 6 June 2012

चलता हूँ


होठों   पे   मुस्कान    लिए   चलता  हूँ |
सीने   में   तूफ़ान   लिए   चलता    हूँ || 

कुछ भी न हो पास अगर तो क्या ग़म |
आँखों   में   ईमान   लिए   चलता   हूँ || 

वक़्त  कभी  भी  धोखा  दे  सकता  है |
मैं   एसे   इम्कान   लिए   चलता  हूँ || 

सबको  ख़ुशी   देना  है मक़ि्सद मेरा |
जल्वों  का  सामान  लिए  चलता  हूँ || 


आप समझ ले ये  कि   शायर  हूँ  मैं |
ग़ज़लों  का  दीवान लिए  चलता  हूँ ||  

लोग    मुझे  चाहे जो  कह सकते  हैं |
ख़ुद  में  मैं   इंसान लिए  चलता  हूँ ||  

जब   लेने   आयेगा   वो   चल  दूंगा |
मौला   का  फ़र्मान लिए  चलता  हूँ ||   

पाई   है   दुन्या  में  जो  भी  शोहरत |
अब  वो  ही पहचान लिए चलता  हूँ ||  

आज  कहीं  तो  ‘सैनी’ मिल  जाएगा |
मिलने  का  अरमान लिए चलता  हूँ ||  

डा० सुरेन्द्र  सैनी          

2 comments:

  1. बहुत खूब डा सुरेन्दर सैनी जी

    ReplyDelete