Monday, 11 June 2012

पता तक नहीं देते


मौजूदगी  का  अपनी   पता  तक  नहीं  देते |
कब दिल को चुरा लें वो हवा  तक नहीं  देते ||

क्यों  हो  गए  हैं  हमसे  ख़फ़ा  दोस्त  हमारे |
चुपचाप   निकलते  हैं  सदा  तक  नहीं  देते ||

ये  क़ातिलों  का  पालना  है  कोई  सियासत |
है कैसा   अजब  रह्म   सज़ा  तक  नहीं   देते ||

ये   कौन   सी   तहज़ीब   के  बच्चे  हैं  हमारे |
फालिज ज़दा वालिद को दवा तक  नहीं  देते ||

कितना भी करो आप किसी  के  लिए  अच्छा |
नाशुक्रे  हैं   कुछ  लोग  सिला  तक  नहीं  देते ||

माहौल   बने   काम   का   तो   कैसे  बने  अब |
मालिक किसी को अच्छा सिक़ा तक नहीं देते ||

सब   धरती   पे   बैठे  हुए  हैं  कब्जा    जमाये |
अब  सांस  ले  कैसे  वो   समा  तक  नहीं  देते ||

भारी   लगे   मेहमान   का   आना  उन्हें  एसा |
जाते   हुए   भी  उसको  विदा  तक  नहीं  देते ||

बातों   में   फंसा   लेते   हैं  ‘सैनी ’ को  हमेशा |
बेचारे   को   बातों   का  सिरा  तक  नहीं  देते ||

सिक़ा -----विश्वनीय व्यक्ती 
समा ----आकाश 

डा० सुरेन्द्र  सैनी 

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