मौजूदगी का अपनी पता तक नहीं देते |
कब दिल को चुरा लें वो हवा तक नहीं देते ||
क्यों हो गए हैं हमसे ख़फ़ा दोस्त हमारे |
चुपचाप निकलते हैं सदा तक नहीं देते ||
ये क़ातिलों का पालना है कोई सियासत |
है कैसा अजब रह्म सज़ा तक नहीं देते ||
ये कौन सी तहज़ीब के बच्चे हैं हमारे |
फालिज ज़दा वालिद को दवा तक नहीं देते ||
कितना भी करो आप किसी के लिए अच्छा |
नाशुक्रे हैं कुछ लोग सिला तक नहीं देते ||
माहौल बने काम का तो कैसे बने अब |
मालिक किसी को अच्छा सिक़ा तक नहीं देते ||
सब धरती पे बैठे हुए हैं कब्जा जमाये |
अब सांस ले कैसे वो समा तक नहीं देते ||
भारी लगे मेहमान का आना उन्हें एसा |
जाते हुए भी उसको विदा तक नहीं देते ||
बातों में फंसा लेते हैं ‘सैनी ’ को हमेशा |
बेचारे को बातों का सिरा तक नहीं देते ||
सिक़ा -----विश्वनीय व्यक्ती
समा ----आकाश
डा० सुरेन्द्र सैनी
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