कानों में मुहब्बत की सदा क्यों नहीं आती |
वादे में तेरे बू -ए -वफ़ा क्यों नहीं आती ||
जब काम नहीं करतीं दवाएं तो दुआ कर |
बीमार तेरे लब पे दुआ क्यों नहीं आती ||
जिस दिन से जुदा जान - ए -वफ़ा मुझसे हुई है |
नींद आँखों में अब उसके बिना क्यों नहीं आती ||
मेरा भी तो कुछ हक़ है बहारों पे जहाँ में |
यारो मेरे हिस्से में सबा क्यों नहीं आती ||
हो पाऊँ गिरफ़्तार मैं जुल्फों में किसी की |
‘सैनी’ तुझे आख़िर ये अदा क्यों नहीं आती ||
डा० सुरेन्द्र सैनी
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