हमें ख़ाब जो भी दिखाए गए हैं |
नहीं आज तक वो निभाये गए हैं ||
बुरे काम जिनसे कराये गए हैं |
मुक़द्दर उन्ही के बनाए गए हैं ||
ज़रूरत नहीं है मुझे मैकशी की |
जनम से ही आंसू पिलाए गए हैं ||
भटक आज राह -ए -वफ़ा से गए जो |
सबक़ उनको उल्टे पढाये गए हैं ||
नहीं एक भी हो सका हम पे साबित |
जो इल्ज़ाम हम पे लगाए गए हैं ||
रुकावट बने थे जो रस्ते की उनके |
सभी के सभी वो मिटाए गए हैं ||
गए लेने उनसे ज़रा रोशनी हम |
तभी घर हमारे जलाए गए हैं ||
सियासत में ख़ाली जो आये थे उनके |
करोडो के ख़ाते बताये गए हैं ||
खुले कान रक्खे ज़बां पर हैं ताले |
एसे लोग सर पे चढ़ाए गए हैं ||
न मफ़हूम ही था न थी बह्र कोई |
हमें एसे नग़्मे सुनाये गए हैं ||
फ़साने सुनाये जो सारे जहाँ को |
फ़साने वो मुझसे छुपाये गए हैं ||
शहीद आज कोई हुआ है तो उस पर |
दिखावे के आंसू बहाए गए हैं ||
जो ‘सैनी ’का लौटे अभी क़त्ल करके |
मुहाफ़िज़ वो मेरे बनाए गए हैं ||
डा० सुरेन्द्र सैनी
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