Thursday, 14 June 2012

ख़ाब


हमें   ख़ाब   जो  भी  दिखाए  गए  हैं |
नहीं आज तक  वो  निभाये  गए  हैं ||

बुरे   काम   जिनसे   कराये   गए  हैं |
मुक़द्दर   उन्ही   के   बनाए   गए  हैं ||

ज़रूरत   नहीं   है   मुझे  मैकशी  की |
जनम  से  ही  आंसू  पिलाए  गए  हैं ||

भटक आज राह -ए -वफ़ा से गए  जो |
सबक़   उनको   उल्टे  पढाये  गए  हैं ||

नहीं एक भी हो सका हम  पे  साबित |
जो  इल्ज़ाम  हम  पे  लगाए  गए  हैं ||

रुकावट बने थे   जो  रस्ते  की  उनके |
सभी   के   सभी   वो  मिटाए  गए  हैं ||

गए   लेने   उनसे   ज़रा   रोशनी  हम |
तभी   घर    हमारे   जलाए   गए   हैं ||

सियासत में ख़ाली जो आये थे उनके |
करोडो    के   ख़ाते    बताये   गए  हैं ||

खुले कान रक्खे  ज़बां  पर  हैं  ताले |
एसे   लोग   सर   पे  चढ़ाए  गए  हैं ||

न मफ़हूम ही  था  न  थी  बह्र  कोई |
हमें    एसे   नग़्मे   सुनाये   गए  हैं ||

फ़साने   सुनाये  जो  सारे   जहाँ  को |
फ़साने   वो   मुझसे  छुपाये  गए  हैं ||

शहीद आज कोई हुआ है तो उस  पर |
दिखावे   के   आंसू   बहाए   गए    हैं ||

जो ‘सैनी ’का लौटे अभी क़त्ल करके |
मुहाफ़िज़    वो   मेरे   बनाए  गए  हैं ||

डा० सुरेन्द्र  सैनी 

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