Sunday, 27 May 2012

दर्द -ए -जुदाई


तेरा दर्द -ए -जुदाई यूँ तो मुझको सालता  हर  पल |
मगर चेहरा मेरा मुस्कान से रहता खिला हर  पल ||

ख़ुदा  जाने  तुम्हारे  प्यार  में  है  कौन  सी  ताक़त |
क़लम मेरा करे जो सामना ज़ुल्मात  का  हर  पल ||

मुझे   मालूम   है  मुश्किल  बड़ा  ये  काम  होता  है |
हंसी चेहरे पे रख कर दर्द दिल में  पालना  हर  पल ||

तेरी आग़ोश में गुज़रे जो उन लम्हों का क्या कहना |
तेरे दामन की ख़ुशबू में निहाँ है  ख़ुशनुमा  हर  पल ||

भटक कर सहरा में मैं अपनी मंज़िल को ही खो बैठा |
नहीं   है  दूर   तक   छाया  घटे  है  हौसला  हर  पल ||

उडी   है  नींद   आँखों  से  नहीं  दिल  में  सुकूँ  बाक़ी |
पता आख़िर चला होता है कैसा प्यार का   हर  पल ||

हक़ीक़त जानता ‘सैनी’मगर माने  नहीं  फिर  भी |
उसे ये शौक पीने का निगलता जा   रहा  हर  पल ||

डा० सुरेन्द्र  सैनी   

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